शनिवार, 3 नवंबर 2007

सीरियलों का सार संग्रह ( भाग दो )

कल से आगे,


कहानी घर घर की :-हाँ तो मैं बता रह था कि कैसे इतनी बडे घर में इतनी ज्यादा गडबडी होती है कि मारा हुआ ॐ भी जिंदा होकर आ जाता है और कमाल कि बात है कि उसी पत्नी को चाहने लगता है जिसे पहले चाहता है , ऐसा भी कहीं होता है,। और कहानी क्यों कहते हो भी पुरा पुरा का पूरा ग्रंथ है वो भी महाभारत जैसी,। मगर यार , ये बात समझ में नहीं आयी कि इतने बडे घर में रोशनी के लिए एक दिया जलातें हैं, अबे दिया है या पॉवर हौस।


सात फेरे : भैया, अभी तो दो तीन फेरों की कहानी ही दिखाई है, जिसमे दोनो मियां बीवी के दो तीन चक्कर दिखा दिए । हाँ , फेरे इतने रगड़ रगड़ कर लिए कि काली लडकी भी गोरी होती जा रही है । चाहे घंनी खम्मा कहो या उई अम्मा , इन फेरों के फेर से निकलना बहुत मुश्किल है भाई॥


तीन बहुरानियाँ :- बड़ी अनोखी कहानी है , बहू की है या रानियों की , ये तो पता नहीं । एक बूढी सास है, उसकी एक उससे थोडी कम बूढी बहू है, वो बूढी तीन लडाकी बहुरानियों की सास है, और इन तीन लडाकी सासों की अलग अलग अपनी अपनी बहू हैं। अब आप ही बताइये कि कुल कितनी सास हैं और कितनी बहुरानियाँ हैं । और हाँ इन सबके अपने पर्सनल पति भी हैं।


घर की लक्ष्मी बेटियाँ :- एक बात बताइये, यदि घर में लक्ष्मी होंगी तो बेटी हो या बेटियाँ क्या फर्क पड़ता है। अजी उनसे पूछो जिनके घर में बेटियाँ तो हैं पर लक्ष्मी नहीं है। वैसे हाल ही में दिल्ली सरकार ने बेटियों के जन्म पर एक लाख देने की घोषणा की है। अजी छोडो ,छोडो ,बेटा बेटी कर रहे हैं सारा चक्कर वही है।


यार, किस किस की बात करें बात सिर्फ इतनी सी है कि सीरियल चाहे क से हो या क से नहीं हो , हैं एकता कपूर फैक्ट्री के प्रोडक्ट जैसे ही लगते हैं।

झोलतन्मा

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